लेखनी प्रतियोगिता -27-Feb-2022 मन सुंदर
बंदे मन जो तेरा होगा सुंदर ,
जग भी लगेगा तुझको सुंदर ,
चंदन सा बनकर जो महकेगा तू,
खिलेगा तू भी फूलों सा सुंदर |
कस्तूरी के लिए वन वन में फिरे ,
मृगछाल पहने गहरे जंगल में घिरे,
काहे को बंदे तू पतन में जाए ,
मोह में पड़कर काहे को तू गिरे |
मोह माया वैर भाव सब छोड़ दे ,
दुश्मनों का तू तो मन भी मोड़ दे ,
अपनी निश्चल हंसी से मनमोहना ,
तू तो यहांँ पूरी दुनिया को होड़ दे |
इत्र की महक फैलती चहुँ ओर ,
मन की कसक रहे न किसी छोर,
जिंदगी में भी हो जाए उजियारा,
फैले लालिमा सूरज उगे जब भोर |
आसमान भी झुक जाएगा सामने तेरे
मधुशाला में जो तू न यहाँ मन को घेरे
नजर तू अपनी सब पर रखना अच्छी ,
व्यवहार में तू न लगाना किसी के फेरे |
पीड़ित की पीड़ा को जो हर लेगा,
कड़वाहट छोड़ दूसरे का साथ देगा,
व्यवहार में तू अपने रखेगा नरमी,
ख्वाब सारे तभी ईश्वर पूरे करेगा ||
प्रत
Astha Singhal
27-Feb-2022 11:12 PM
बहुत बढ़िया रचना 👍
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Swati chourasia
27-Feb-2022 09:52 PM
Very beautiful 👌
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Mohammed urooj khan
27-Feb-2022 07:29 PM
Nice
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